Sunday 27 May 2018

राष्ट्रीय सवर्ण एकता संघ ने किया सवर्ण शोषण का विरोध

संपादक की कलम से
कानपुर।आज नांनाराव पार्क फूलबाग कानपुर में राष्ट्रीय सवर्ण एकता संघ के द्वारा सवर्ण शोषण के विरोध में एक धरना दिया गया।जिसमे बढ़ चढ़ कर सवर्णो ने हिस्सा लिया। कई जिलों के लोगो के समक्ष राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित सत्यम तिवारी ने कहा कि सवर्ण समाज का शोषण सातवी शताब्दी में मीर कासिम के समय से शुरू हुआ और अब तक आजादी के 71 वर्षो के बाद भी शोषण बदस्तूर चालू है जो अब असहनीय व पीड़ा दायक हो गया है अतः इसका विरोध अति आवश्यक है हमारा संगठन पूर्ण शक्ति के साथ सवर्ण उत्थान के कटिबध्द है इसी सरनखला में यह उक्त प्रदर्शन श्रंखलाबाध्य तरीके से आगज हुआ और शोषण समाप्ति तक बादस्तूर चालू रहेगा ।संघ के राष्ट्रीय प्रवक्ता पंकज मिश्र ने कहा कि मुगल आक्रमण के पश्चात क्षत्रीय शाशको से सत्ता छीन कर उनका प्रभुत्व नष्ट किया गया।क्षत्रीय और ब्राम्हण समाज दोनों हिबड़ो जिस्म एक जान थे व प्रभूत्वा छिनने के कारण सहयोगी वैश्य वर्ग जिसका मूल्य कार्य क्रय विक्रय करना था जो आक्रमणकारी शाशको के शाशन काल मे जीवन उपयोगी वस्तुओं का क्रय तो करता था परंतु विक्रय के समय शाशको के द्वारा जबरन ले लिया जाता था जिसके कारण वह बिक्री कर पाने में असमर्थ था।क्षत्रिय समाज को सैनिक के रूप में रखा गया व ब्राम्हण समाज को रसोइये का कार्य भार सौपा गया।कार्य कर पाने में असक्षम होने पर शारीरिक प्रताड़ना दी जाती थी शारीरिक रूप से अस्वस्थ होने पर भी उन सभी के कार्यो की पूर्ति करी जाती थी।समस्त हिन्दुओ को इसी वेदना को सहन करना पड़ता था न कि केवल शूद्रों को ही इस वेदना को सहन करना पड़ता था । आक्रमणकारी शाशको के शाशन काल मे सम्पूर्ण हिन्दुओ का शोषण हुआ परन्तु सत्ता के लालची राजनेताओ ने लालच वश सेवक वर्ग(शूद्रों)को शोषित बताया और शोषण कारी आक्रमण कारी शाशको को कहने के बजाय सवर्णो को साबित किया समाज मे फुट डालकर अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति की जबकी गैर धर्म के शाशको के शाशन काल मे शूद्र समाज चापलूसी की नीयत से उपहार पाने हेतु हिन्दुओ के आंदोलन को विफल करता रहा जिसका प्रमाण कोल्हापुर के रियासत का अधिभार साहू जी को सौंपा गया जिसको आज भी सेवक वर्ग शौर्य दिवस के रूप में मनाता है इनकी चापलूसी से इतिहास भरा पड़ा है इन्ही कारणों से शूद्रों का मंदिर में प्रवेश वर्जित किया गया। विरोधी शाशको के खिलाफ जो भी योजनाए तैयार की जाती थी उसके लिये मंदिर ही सर्वोच्च स्थान था जिसमे पहले शूद्र वर्ग के प्रवेश में कोई प्रतिबंध नही था पूजन काल मे सबकी उपयोगिता आज भी लागू है। शादी विवाह काम काज में सेवक वर्ग की अहम हिस्सेदारी का होना इस बात का प्रमाण है कि शाशक कोई भी रहा हो इनका कार्य यथावत रहा पिछले 1400 सालो से हिन्दुओ का शाशन काल रहा है नही और जो रहा भी वो विदेशी शाशको के आधीन रहा सेवक वर्ग काम का पारिश्रमिक व चापलूसी का उपहार पाता रहा और आज भी बदस्तूर चालू है सभी तीर्थ त्योहारों में वंशानुगत कार्य करने वाले सेवक वर्ग आज भी किसी त्योहार काम काज में पारिश्रमिक के साथ उपहार पाते है परंतु राजनैतिक दल अपनी राजनीति चमकाने के लिए श्रवण समाज को शोषण कारी व सेवक वर्ग को शोषित कहते है परन्तुं कोई भी शोषण का प्रमाण दे पाने में सक्षम नही है समाज मे फैली इन कुरीति के दमन के लिए राष्ट्रीय सवर्ण एकता संघ ने विरोध का एलान किया है और सवर्ण समाज के सहयोग से इस कुरीति को खत्म करने के लिए जनजागरण का कार्यक्रम शुरू किया इसी तारतम्भ में आगामी समय मे संघ एक रथ यात्रा का आयोजन करेगा और अपने समाज मे हुए शोषण को प्रामाणित करती हुई आख्या महामहिम राष्ट्रपति महोदय को प्रेषित करते हुए न्याय की मांग करेगा व एक जनहित याचिका के माध्यम से माननीय सर्वोच्च न्यायालय में वाद प्रस्तुत करने के लिए कटिबध्द है जिसमे समाज को विघटित करने वाले हर उस व्यक्ति से शोषण के अभिलेख की मांग करेगा।अभिलेख उपलब्ध न होने पर व शोषण प्रामाणित न होने पर न्यायलय से इस कुरीति को खत्म करने की मांग करेगा।न्याय न मिल पाने की दशा में शशक्त संघर्ष करने के लिए बाध्य होगा जिसका पूरा दायित्व समाज का प्रतिनिधित्व कर रहे शाशन व प्रशाशन के शीष होगा।इस कार्यक्रम में,पंडित सत्यम तिवारी,पंकज मिश्र ,लल्लन तिवारी,आशीष त्रिवेदी,शुभम जय तिवारी,प्रिया द्विवेदी,ज्योति तिवारी,अम्बरीष द्विवेदी लक्ष्मीकांत मिश्रा,अजय मिश्रा,अंकित मिश्रा सहित सैकड़ों सदस्य मौजूद रहे।और कई सवर्ण संगठनों ने इसका सहयोग किया।

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