Thursday 3 March 2022

सम्पादक सत्यम तिवारी की कलम रूस और युकरेन विवाद को समझिये।

पश्चिमी देशों की चिंताएं हैं कि अगर यह तनाव बढ़कर युद्ध की दहलीज़ तक पहुँचा तो इसकी आग पूरे यूरोप में फैल सकती है और दूसरे विश्व युद्ध के बाद इतने ख़राब हालात देखे नहीं गए होंगे.

पश्चिमी देशों की ख़ुफ़िया संस्थाओं का अनुमान है कि यूक्रेन की सीमा पर टैंकों और तोपों के साथ रूस के अभी एक लाख सैनिक तैनात हैं. अमेरिका का मानना है कि जनवरी के अंत तक इसकी संख्या 1.75 लाख तक बढ़ सकती है.

अमेरिका और उसके नेटो सहयोगी पहले ही चेतावनी दे चुके हैं कि यूक्रेन पर रूस के किसी भी हमले के 'गंभीर आर्थिक परिणाम' होंगे लेकिन फिर भी रूस 'एक खेल खेलने' में लगा हुआ है.


कई विश्लेषकों का मानना है कि रूस यह दबाव की रणनीति के तहत कर रहा है ताकि यूक्रेन को पश्चिमी देशों के सुरक्षा संगठन नेटो में जगह न मिल सके.

रूस को डर है कि अगर यूक्रेन नेटो का सदस्य बना तो नेटो के ठिकाने उसकी सीमा के नज़दीक खड़े कर दिए जाएंगे. हालांकि नेटो ने रूस को भरोसा दिलाया है कि उससे उसको कोई ख़तरा नहीं है.

रूस और यूक्रेन के बीच विवाद को अभी नेटो से जोड़कर देखा जा रहा है लेकिन दोनों के बीच कई मौक़ों पर संघर्ष हो चुका है. इनमें 2014 की जंग भी शामिल है, जब रूस ने यूक्रेन से क्रीमिया छीनकर उस पर क़ब्ज़ा कर लिया था.

रूस और यूक्रेन के बीच तनाव को समझने के लिए थोड़ा पीछे जाना होगा.

यूक्रेन कभी रूसी साम्राज्य का हिस्सा था

युकरेन कभी रूसी साम्राज्य का हिस्सा हुआ करता था और 1991 में सोवियत संघ के टूटने के बाद यूक्रेन को स्वतंत्रता मिली और तभी से यूक्रेन रूस की छत्रछाया से निकलने की कोशिशें करने लगा.

इसके लिए यूक्रेन ने पश्चिमी देशों से नज़दीकियां बढ़ाईं. उसने ऐसा फ़ैसला तब लिया, जब उसके उत्तर और पूर्वी हिस्से की एक लंबी सीमा रूस से लगती है.

साल 2010 में विक्टर यानूकोविच यूक्रेन के राष्ट्रपति बने और उन्होंने रूस से बेहद क़रीबी संबंध बनाए. इन संबंधों की बुनियाद पर उन्होंने यूरोपीय संघ में शामिल होने के समझौते को ख़ारिज कर दिया. इसकी प्रतिक्रिया ये हुई कि भारी विरोध प्रदर्शन के कारण साल 2014 में उन्हें अपने पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा.

इसके बाद रूस ने यूक्रेन के ख़िलाफ़ आक्रामकता दिखाई और कथित तौर पर वहाँ के अलगाववादियों की मदद की जिसके परिणामस्वरूप उसने यूक्रेन के क्रीमिया प्रायद्वीप पर क़ब्ज़ा कर लिया.

रूस पर आरोप लगते हैं कि वो यूक्रेन के अलगाववादियों को पैसे और हथियारों से मदद कर रहा है. रूस इन आरोपों को ख़ारिज करता है. हालांकि वो खुलकर अलगाववादियों का समर्थन करता है.

यूक्रेन के पूर्वी हिस्से में मौजूद डोनबास को औद्योगिक शहर माना जाता है. वहां पर 2014 में हुई लड़ाई के दौरान 14,000 से अधिक लोग मारे गए थे.

यूक्रेन और पश्चिमी देशों के आरोप हैं कि रूस अपने सैनिकों से भी विद्रोहियों की मदद कर रहा है. हालांकि रूस कहता है कि विद्रोहियों का साथ देने वाले रूसी स्वयंसेवक हैं.

2015 में फ्रांस और जर्मनी ने एक शांति समझौते की मध्यस्थता की, जिससे जंग रुक सकी लेकिन इससे कोई राजनीतिक समाधान नहीं निकला.

इस साल संघर्ष विराम उल्लंघन में तब तेज़ी दिखी जब यूक्रेनी सीमा के नज़दीक रूसी सैनिकों ने युद्धाभ्यास शुरू किया लेकिन अप्रैल में रूस के इसे रोकने के बाद तनाव थोड़ा कम हुआ.

Wednesday 6 October 2021

सात साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म का प्रयास

कानपुर। थाना सचेंडी के अंतर्गत धर्मनगर गांव की सात साल की बच्ची जो कि sdl कालेज में पढ़ रही है शाम को स्कूल से निकलने के बाद बच्ची वैन में सवार हुई और साथ मे अन्य बच्चे भी थे।सभी बच्चो को उतारने के बाद वैन ड्राइवर ने बच्ची के भाई को बगीचे को ओर किसी कार्य के लिये भेजा उसके बाद वैन ड्राइवर ने बच्ची के साथ दुष्कर्म का प्रायास किया तब तक बच्ची का भाई वैन में आ गया रोती बिलखती बहन को देखकर उसने चिल्लाना शुरू कर दिया।तब तक वैन ड्राइवर मौके से भाग निकला। मामले की जानकारी घर वालो को होते ही परिवारिक लोगो ने ड्राइवर के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत करवाया। पुलिस आरोपी की तलाश में जुटी हुई है परन्तु आरोपी पुलिस की धरपकड़ से अभी तक दूर है।

Friday 25 June 2021

आंगनवाड़ी प्रभारी पर लगा 84 हजार रुपये की वसूली का आरोप

घाटमपुर। कानपुर जिले की घाटमपुर तहसील क्षेत्र की आंगनवाड़ी प्रभारी नीना गुप्ता पर 84 हजार रुपये की वसूली का आरोप जिला कार्यक्रम अधिकारी इंद्रपाल ने आरोप लगाया है।कुछ दिन से यह मामला पेपरों पर घूम रहा था जिसमे मुख्य रूप इंद्रपाल की चहेती कार्यकत्री आंगनवाड़ी शमा बेगम ने निरन्तर न्यूज पेपरों के माध्यम से आरोप नीना गुप्ता पर लगा रही थी परन्तु आज स्वयम जिला कार्यक्रम अधिकारी इस मामले पर सामने आ गए कि नीना गुप्ता द्वारा अवैध वशूली आंगनवाड़ी कार्यकर्ती से लिया गया। जबकि जानकारी मिली है कि नीना गुप्ता को प्रभारी बने हुए मात्र 15 दिन ही हुए है फिर यह कार्य नीना गुप्ता कैसे कर सकती है जबकि यह वशूली जिला कार्यक्रम अधिकारी इंद्रपाल द्वारा कराई गई थी । 
नीना गुप्ता अभी 15 दिन पहले ही बनी है प्रभारी
इंद्रपाल की चहेती है शमा बेगम
जब किसी भी परियोजना को लागू किया जाता है तो उसकी पूर्ण जानकारी जिला कार्यक्रम अधिकारी के पास होती है। और जो यह वशूली हुई है उसमें कई आंगनवाड़ी में उसका सामान भी पहुच चुका है पता चला है कि जिन आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों ने सामान लिया है उनकी भी जांच होगी। और जिन्होंने नही लिया वह इस जांच से दूर रहेंगी।जब अधिकारी ही ऐसा कार्य करेंगे तो जनता तक व्यवस्थाएं कैसे पहुचेगी।आज इसी मामले को लेकर आगनवाड़ी कार्यकत्रियों ने जिला कार्यक्रम अधिकारी का कार्यालय घेर लिया।

Wednesday 12 May 2021

न्यूरोथैरेपी शिविर का हुआ आयोजन।

जोधपुर। राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान मंडोर, जोधपुर (राजस्थान)में नि:शुल्क न्यूरोथेरेपी शिविर आयोजित हुआ। शिविर संचालन संतु सिंह मेड़तिया (न्यूरोथेरेपीस्ट) ने किया। वहां पर मौजूद संस्थान के  अधीक्षक पवन कुमार भाटी, फोरमैन हनुमाना राम, वरिष्ठ अनुदेशक जुगल जांगिड़ और संस्थान के कर्मचारी और प्रशिक्षणार्थी की मौजूदगी में शिविर का सफल आयोजन हुआ
इम्युनिटी के विषय मे विस्तार से हुई चर्चा
कोरोना को हराने के लिए सभी जंग लड़ रहे हैं
सभी ने तल्लीनता पूर्वक भाग लेकर ज्ञान अर्जन किया।जिसमें किडनी में एसिड एल्कलाइन ,हार्ट ब्लॉकेज ,और ब्लड का पीएच लेवल और ब्लड की मात्रा कम या बराबर । वात पित्त कफ को बैलेंस रखने के नायाब सूत्र बताए। अंत में अधीक्षक पवन कुमार भाटी ने संतु सिंह मेड़तिया न्यूरो थेरेपीस्ट का धन्यवाद ज्ञापित किया और भविष्य में विद्यार्थियों को योग प्राणायाम द्वारा स्वस्थ रहने के कैंप आयोजन का प्रस्ताव भी रखा गया। और अंत में कर्मचारियों को आयुर्वेदिक काढ़ा पिलाया गया।

Monday 3 May 2021

समाजसेवी पंडित सत्यम तिवारी की आठ दिन बाद भी नही मिली RT-PCR रिपोर्ट

घाटमपुर।घाटमपुर तहसील के सबसे बड़े गांव जहाँ की जनसंख्या करीब 12 हजार है करीब 15 दिन में 30 से ज्यादा मौते हो चुकी है। उसी गांव के समाजसेवी पंडित सत्यम तिवारी रावण ने अपनी कोरोना जांच कराई थी परन्तु आठ दिन गुजरने पर भी रिपोर्ट नही आई। जिस गांव के यह हालात हो वहाँ पर स्वास्थ्य विभाग का इस तरीके से चुप रहना स्वास्थ्य विभाग के ऊपर प्रश्न चिन्ह लगाता है।घाटमपुर सीएचसी में प्रतिदिन करीब 150 से ज्यादा जांच हो रही है परंतु उनकी रिपोर्ट अभी तक जारी नही हो रही। 
पंडित सत्यम तिवारी ने 8दिन पहले कराई थी RT-PCR जांच
8 दिन बाद भी नही आई कोरोना की जांच रिपोर्ट
पंडित सत्यम तिवारी ने बताया कि यदि सरकार व प्रशाशन इस तरीके से जनता के साथ दुर्व्यवहार करेंगे तो जनता की स्थिति क्या होगी। आगे उन्होंने बताया कि ADO पंचायत से बात करने के उपरांत गांव में जब सेनेटाइजेशन हुआ और स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव पहुँची तो एक ही मोहल्ले के 11 व्यक्ति पॉजिटिव निकले जिनको होम आइसोलेशन में रहने की सलाह दी गई और शाम को दवा भेजने की बात कही गई परन्तु अभी तक किसी भी पॉजिटिव सदस्य को दवा नही मिली। और संक्रमित लोग गांव में खुलेआम घूम रहे है।

Sunday 22 November 2020

सवर्ण एकता संघ ने मनाया स्थापना दिवस

कानपुर। आज राष्ट्रीय सवर्ण एकता संघ ने अपना सातवाँ स्थापना दिवस मनाया जिसमे संगठन द्वारा आचार्यों की उपस्थिति में रुद्राभिषेक का आयोजन किया गया। जिसमें संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष व संस्थापक पंडित सत्यम तिवारी रावण व राष्ट्रीय महासचिव धनराज संदीप बाजपेई व प्रवक्ता पंकज मिश्रा जी ने पूजन कर रुद्राभिषेक पूर्ण किया उसके बाद सामाजिक चर्चाओं पर प्रकाश डाला कि किस प्रकार संगठन ने समाजसेवा करते हुए अपने सात वर्ष पूर्ण किये। निरन्तर आरक्षण विरोधियो की आवाज बना संगठन व शोषित एवं वंचित समाज के लोगो के लिए कार्य किया। एक लाख व्रक्ष संगठन द्वारा लगवाए गए। इस तरीके की संगठन द्वारा चलाई गई पूर्व की मुहिम के बारे में राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित सत्यम तिवारी रावण ने चर्चा की व संगठन के साथ जुड़ चुके सभी राज्य व जिलास्तरीय कार्यकर्ताओ का आभार व्यक्त किया कि आप सभी का योगदान जिस प्रकार से हमे मिला उसका मैं हमेशा आभारी रहूंगा।
स्थापना दिवस के कार्यक्रम में प्रमुख रूप से अभिषेक द्विवेदी शुशील बाजपेई अंकित मिश्र देव तिवारी अतुल अवस्थी सहित कई अन्य संगठन के कार्यकर्ता मौजूद रहे।

Wednesday 16 September 2020

पंडित सत्यम तिवारी नही लड़ेंगे जिपंचायत चुनाव

घाटमपुर।भारत के सबसे बड़े सवर्ण संगठन के मुखिया पंडित सत्यम तिवारी की अपने जन्मस्थान से जिला पंचायत चुनाव के प्रत्याशी के रूप में आने की जो चर्चाएं क्षेत्र में चल रही थी और लोगो द्वारा ऑनलाइन वोटिंग के तहत भी लोगो का रूझान देखा गया जिसमें समाजसेवी पंडित सत्यम तिवारी का नाम सर्वप्रथम व अन्य का दूसरा स्थान व लोगो की तीसरी पसंद वीरेंद्र त्रिवेदी भाजपा नेता और वही वर्तमान पंचायत प्रधान को एक मत भी हासिल नही हुआ।
परन्तु जब आज समय न्यूज ने पण्डित सत्यम तिवारी से चर्चा की तो उन्होंने  उन सभी चर्चाओं पर स्वयं पूर्ण विराम लगा दिया की वह जिपंचायत चुनाव नही लड़ेंगे उंनहोने कहा कि हमने कभी प्रत्याशिता का दावा नही किया यह लोगो का प्यार है जो मुझे प्रत्याशी के रूप में देखना चाहते है।पर मैं अभी चुनाव लड़ने की स्थिति में नही हु। आपको बता दे कि पंडित सत्यम तिवारी क्षेत्र व जिले के लिये कोई नाम नही है यह एक ऐसा नाम है जिसे अपनी पहचान बताने की आवश्यकता नही है इन्होंने सन 2014 में राष्ट्रीय सवर्ण एकता संघ की स्थापना की स्थापना करने के उपरांत कई लोगो का सहारा भी बने।समाजसेवा में अपनी अग्रणी भूमिका निभाने का काम भी किया।संगठन द्वारा कोरोना काल मे हजारों लोगों की मदद सत्यम तिवारी के निर्दर्शन में हुई। परन्तु उंन्होने आज चुनाव लड़ने से साफ इंकार करते हुए कहा कि मैं एक समाजसेवी हु और समाजसेवी बनकर ही रहना चाहता हु।